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गर जलवा नुमायाँ न होती

कहना है
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कहते हैं कि जलवा तो दिखाने की चीज है. अगर दिखाई न जाये तो जलवे फिर कहाँ जलवे रह जाते हैं.जलवे भी कई तरह के होते हैं.नेताओं के,नए नवेले मंत्रियों के,रईस धन-कुबेरों के,अफसरों के,हसीनाओं के,वगैरह-वगैरह.इन सबके जलवे मौके, बेमौके नुमायाँ होते ही रहते हैं.किसी फंक्शन या शादी-विवाह के समारोह में लाल बत्ती वाले ये नेताजी या नए-नवेले मंत्री जी आठ-दस सुरक्षाकर्मियों के साथ धमक जाते हैं तो दुल्हे-दुल्हिन से ज्यादा यही आकर्षण के केंद्र बन जाते हैं और मेजबान के सर गर्व से तन जाते हैं,गोया खुद नेतागिरी भोग रहे हों.

धन कुबेरों का धन प्रदर्शित न हो,आलीशान बंगले और दो तीन हवाई जहाज न हों तो लोगों को उनके जलवे का पता ही नहीं चलता.
अब क्या बैठे-ठाले लोगों को पता चल जाता कि मुकेश अम्बानी साहब का मुम्बई का सबसे आलीशान बंगला है,जहाँ स्वीमिंग पुल से लेकर हैलीपैड तक सब कुछ है.गाहे बगाहे धन कुबेरों की लिस्ट में उनका नाम सेंसेक्स की तरह ऊपर-नीचे होते रहता है.

निजी समारोहों में छोटे-बड़े अफसर भी अक्सर चार चाँद लगाते रहते हैं.इसी बहाने लोगों को अपना रुतबा भी दिखाने को मिल जाता है कि वे फलां-फलां अफसर के कितने करीबी हैं.

फिल्मी हसीनाओं को तो अपना जलवा दिखाने के लिए बहाना ढूंढने की भी जरूरत महसूस नहीं होती.किस्म-किस्म के प्रचार के तरीकों में उनका जिस्म ही तो नुमायाँ होता रहता है.वह नहीं हो तो लोगों को कैसे पता चले कि बेबो तो जीरो फिगर की स्वामिनी हैं.आखिर कॉम्पिटीशन की भेड़चाल में,ग्लैमर की दुनियां में यही तो बिकता है.

अभी हाल ही में खबर आई थी कि अपने देश के एक मशहूर और धनकुबेर रियल-इस्टेट के मालिक के जन्मदिन की पार्टी में मशहूर कोलम्बियायी पॉप स्टार शकीरा नृत्य-गान का कार्यक्रम प्रस्तुत करने आई थीं.वाकई इन धन कुबेरों के जलवे तो देखते ही बनते हैं.शकीरा को जन्मदिन के उत्सव में नाचने-गाने के लिए न बुलाते तो लोगों को कैसे पता चलता कि वे भी कोई हस्ती हैं.

समाचार पत्रों ने तो नए साल के उपलक्ष में होने वाली पार्टियों में मशहूर फिल्मी हसीनाओं के जलवे दिखाने की ऑफिसियल रेट तक छाप दी थी कि कौन सी फिल्मी हसीनाएं जलवा नुमायाँ होने की कितनी फीस लेती हैं और यह भी कि अंटी में कम से कम कितना माल होने पर काम बन सकता है.

अब भला हो समाचार पत्रों का जिसने लोगों को यह अहसास तो करा दिया कि कि उनकी हैसियत क्या है?

तो अब अपने जैसे निठल्ले तो सिर्फ फिल्मों में ही हसीनाओं के जलवे देखते रहते हैं.गोया कह रहे हों कि……..
गर तेरी जलवा नुमायाँ न होती………

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