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किस-किस को ‘किस’

कहना है
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जब से अख़बार में यह खबर पढ़ी है कि मल्लिका मैम(अरे! वही,अपनी मल्लिका सहरावत) ‘किस’ सिखाने का स्कूल खोलने वाली हैं,अपना दिल तो बल्लियों उछल रहा है. कारण नहीं समझे.स्कूल में दाखिला जो लेना है.मल्लिका मैम सिर्फ थ्योरी ही सिखाएँगी या प्रैक्टिकल भी,यह पता नहीं है.प्रैक्टिकल भी हो जाये तो बहुत अच्छा.हींग लगे न फिटकिरी,रंग चोखा.इमरान हाशमी की तरह सब पक्के किस एक्सपर्ट थोड़े ही हैं.मल्लिका के साथ फिल्म करने के नाम पर सब भाग खड़े होते हैं.और अब तो विवेक ओबेरॉय की बारी है जो मल्लिका के साथ फिल्म करने वाले हैं और किस सीन के नाम पर ही पसीने छूट रहे हैं.थोडा सा टिप्स इमरान हाशमी से ले लेते तो काम बन जाता.

मल्लिका जी यह भी तो सिखाएँगी कि किस-किस को किस करना है और कैसे करना है.वरना रौंग नंबर लग जाने पर पता चलेगा कि आगे के दो दांत गायब हैं और होठ तालू का तो कहीं अता-पता नहीं है. चीन में इस तरह की एक घटना घट भी चुकी है.सो इस विद्या का सोच समझ कर और देख भाल कर प्रयोग किया जाना आवश्यक है.

एक योगा स्कूल सह वीडियो तो बिल्लो रानी ने भी खोला था,बाबा रामदेव की तरह नहीं.वीडियो तो खूब बिका.पता नहीं लोगों ने कितना योग सीखा.मेरे एक मित्र ने कहा कि उनके पिताजी यह वीडियो खरीद कर ले आये हैं और कमरा अन्दर से बंद करके वीडियो देखते रहते हैं.अब लोग उनसे योग सीखते हैं या उनकी सुन्दर कमनीय काया को घंटों निहारते रहते हैं,यह तो लोगों पर निर्भर करता है न.

कौलेज के दिनों में तो हमने भी खूब हवाई किस(फ्लाईंग किस) के अभ्यास किये थे.हालत यह हो गई थी कि साँस लेने पर गले से सीटी की आवाज आती थी. पर होनी को कौन टाल सकता है.गलती से एक दिन फ्लाईंग किस अपनी सहपाठी की जगह मिस्ड कॉल की तरह जुलौजी की मैडम घोष को जा लगी.उन्होंने बांग्ला मिश्रित हिन्दी में वो लंतरानियाँ भेजी कि वो दिन और आज का दिन, फिर कभी हथेली का धूल झाड़ने के लिए भी फूंक नहीं मारी.

वैसे इस किस स्कूल से भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा लाभ होगा.टूथपेस्ट बनाने वालों की बिक्री बढ़ जायेगी.दन्त चिकित्सकों की गाड़ी दौड़ने लगेगी.आखिर सुन्दर मोतियों से दांत का सवाल है.

अपना देश वैसे भी पान,गुटखा,किस्म-किस्म के पान मसालों, तम्बाकू,बीड़ी,सिगरेट आदि के लिए बदनाम है. ‘किस’ स्कूल चालू हो गया तो ये सब खुद ब खुद बंद हो जाएंगे. स्वास्थ्य विभाग को गुटखा,पान-मसालों,सिगरेट के पैकेटों पर भूत – प्रेत के चित्र लगाने से छुटकारा मिल जायेगा.सो किस स्कूल के फायदे ही फायदे हैं.

मल्लिका मैम तो वैसे भी आजकल फ्री हैं.हौलीवुड में दाल नहीं गली तो बौलीवुड में झंडे गाड़ने पर तुली हैं.क्या पता? अपना भी कहीं नंबर लग जाये तो एक और ‘भींगे होठ तेरे’ का सृजन हो जाये.

सो अब तो सोते जागते सिर्फ यही गुनगुनाने का का मन करता है कि…….
हम भी हैं,तुम भी हो
दोनों हैं आमने सामने
किस-किस को ‘किस’ दें
कि बदल जाएँ प्यार के मायने.

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