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वसंत में बौराया है मन

कहना है
कहना है
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वसंत में बौराया है मन
फगुनाहट की आहट है
पीले सरसों के गंध सुगंध से
उल्लासित कर जाता है मन
वसंत में बौराया है मन

वन उपवन टेसू फूले
वसंत के सज गए मेले
बर्फीले सफ़ेद चादरों से
ढँक जाता है तन मन
वसंत में बौराया है मन

नभ में विहग कलरव करते
बूँद बूँद पत्तों से झरते
मधुमय मधुमास सजाकर
उमंग बढ़ा जाता है मन
वसंत में बौराया है मन

हरियाली से तन मन रीता
रंग सुगंध से कौन अछूता
सोंधी महक धरा से उठती
खिल उठता है उपवन कानन
वसंत में बौराया है मन

मन की डोर खींच लिए जाता
बालपन की याद दिलाता
होरी फाग के रंग तरंग में
बेसुध हो जाता है तन मन
वसंत में बौराया है मन

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