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कई लोगों की बड़ी बुरी आदत होती है,अख़बार में घंटों सिर छुपाये रखने की.मानो इससे बढ़कर दुनियाँ में और कोई शगल हो ही नहीं. अपनी भी यही बीमारी है. ज्यादातर लोग अख़बार को पंद्रह-बीस मिनट से ज्यादा नहीं पढ़ते.शायद अपने को किसी कहानी,लेख का प्लौट,आईडिया की तलाश रहती है जो यहीं से निकल आये.कहानियों का वैसे भी आजकल सूखा पड़ा है,तभी तो फिल्मवाले विदेशी फिल्मों की कहानियों को चुराकर झट से पेश कर देते हैं.हो-हल्ला मचने पर विदेशी फिल्मों से प्रेरित बताकर पल्ला झाड़ लेते हैं.
सो मैं भी आजकल एक प्लौट या यूँ कहें आईडिया की तलाश में हूँ.वह आईडिया नहीं जो अभिषेक बच्चन साहब टी.वी. पर बोलते दिख जाते हैं ‘एक आईडिया जो बदल दे आपकी दुनियाँ’.
हममें से अधिकतर को मोबाईल के क्रौस कनेक्शन का सामना करना पड़ता है. सोचा क्यों न इस पर ही कलम चलाई जाय.कल्पना के घोड़े तो यूँ ही बेलगाम दौड़ते रहते हैं.उस पर रोक कहाँ संभव है?
कुछ साल पहले मोबाईल का नया नया कनेक्शन लिया ही था और जेब में शान से रखकर घूमता था व बीच-बीच में जेब से निकलकर देखने का बहाना करता था जिससे लोग समझें कि अपने पास भी जादुई चिराग है.तभी,एक दिन एक कौल आई,लालू जी से बात करवाइए न! सोचा क्यूँ न थोड़ा मसखरी कर ली जाय.कहा,कहिये का बात है? लालू जी ही बोल रहा हूँ.फोन करने वाला संभवतः ताड़ गया था,उसने झट से कहा,फोन रखें का.हमने कहा त फोन काहे किया.उधर से फोन के कटने की आवाज आई.कई दिनों तक खोपड़ी खुजाता रहा कि लालू जी मेरा नंबर ही क्यों सबको बाँट दिए.मेरा उनकी पार्टी से दूर दूर तक नाता नहीं रहा है.फिर उस वाकये को भूल भी गया.
इधर हाल में खबर आई कि कर्नाटक के रायचूर जिले के वीरेश का फोन क्रौस कनेक्शन के चक्कर में पाकिस्तानी विदेश मंत्री ‘हिना रब्बानी खार’ से जा लगा.अब वीरेश ने मोहतरमा से क्या बातें की होंगी.दो-चार प्यार भरी बातें तो आजकल इन मौकों पर हो ही जाती हैं.कौन सी सामने बंदी खड़ी है कि जूती उठाकर सिर पर दे मारेगी. बन्दे ने यह तो न पूछा होगा कि आप कौन सी कम्पनी का बैग इस्तेमाल करती हैं,या कितने हजार डॉलर में टोरंटो या मनीला से खरीदीं.यह भी न पूछा होगा कि आप कौन सा परफ्यूम इस्तेमाल करती हैं.
जाहिर है ऐसे मौकों का इस्तेमाल करना यहाँ के युवक बखूबी जानते हैं.शान में वो सब कशीदे पढ़ने लगते हैं कि शीरी-फरहाद भी बगलें झाँकने लगें. नाहक ही आईबी और आई.एस.आई वाले पीछे पड़ गए.
वैसे हिना रब्बानी जब भारत आईं थीं तब मीडिया वाले भी इसी तरह पीछे पड़े थे.उनके चेहरे और बैग पर ही ज्यादा फोकस रहता था.टी.वी. एंकर घंटों इस बात को दिखाते रहे थे कि उनका बैग किस कम्पनी का है, कौन सा परफ्यूम इस्तेमाल करती हैं,वगैरा…वगैरा.
क्रौस कनेक्शन आजकल आम बात हो गई है.इसकी वजह से ही कई जोड़ियाँ बन गईं.कई लोगों की जिंदगियाँ बदल गई हैं,कईयों को तो लाईफ पार्टनर तक मिल गए हैं.एक बार क्रौस कनेक्सन होते ही क्रौस कनेक्शन का सिलसिला चल पड़ता है.साथ-साथ जीने मरने की कसमें खाई जाने लगती हैं , बंदा एक नए ताजमहल के सृजन का सपना देखने लगता है और मुग़ल बादशाह को कोसने से बाज नहीं आता………
“किसी शहंशाह ने बनाकर ताजमहल
हम ग़रीबों के मुहब्बत का मजाक उड़ाया है”
लेकिन यह नामुराद क्रौस कनेक्शन सबके भाग्य में नहीं लिखा होता.हमें तो ईर्ष्या हो रही है वीरेश से.काश! अपना ही क्रौस कनेक्शन लग जाता हिना रब्बानी जी से तो दिल का हाल खोल कर रख देते.फिर चाहे आई.एस.आई. या ऍफ़.बी.आई वाले ही क्यों न पीछे पड़ते.
अब तो यही सोच-सोच कर मन बहलाने का जी करता है कि………
“अपने मन को जाहिर करने का
दुनियां में बहुत बहाना
किन्तु किसी में माहिर होना
हाय! न मैंने अब तक जाना
जब-जब मेरे उर में सुर में
द्वन्द हुआ है,मैंने देखा
उर विजयी होता,सुर के सिर हार मढ़ी ही रह जाती है’.
(हरिवंश राय बच्चन की कविता से साभार)
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