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बाबा की दुकान खुली है
बोलो खरीदोगे
साबुन,शैम्पू,पाउडर और क्रीम
सब कुछ बिकने को तैयार
एक पर एक फ्री
पहले आओ पहले पाओ
सब कुछ बिकता है
बोलो खरीदोगे
बाबा की दुकान खुली है
बोलो खरीदोगे
भ्रष्टाचार,कालाधन सबकुछ
पीछे गया छूट
अब तो सामानों की
रेलमपेल है
लूट सको तो लूट
बिस्कुट,टौफ़ी, लेमनचूस
सब कुछ बिकता है
बोलो खरीदोगे
बाबा की दुकान खुली है
बोलो खरीदोगे
अनुलोम-विलोम करते करते
सांसों की दुर्गन्ध दूर भगाओ
बाबाजी का टूथपेस्ट अपनाओ
सुन्दर मोतियों से दांत दिखाओ
सब कुछ बिकने को तैयार
बोलो खरीदोगे
बाबा की दुकान खुली है
बोलो खरीदोगे
उछल कूद करते-करते
गर टूट जाये हड्डी-वड्डी
आसन-वासन जो न कर पाए
तो खूब खेलें कबड्डी
जोड़-तोड़ करने वाला
आयुर्क्विक हैं तैयार
बाबा की दुकान खुली है
बोलो खरीदोगे
फगुआ में रंग ज़माने
पक्के रंग हैं तैयार
धर्म,भाषा औ जाति की
दीवार गिराने वाला
ठंढई हैं तैयार
सब मिलकर खूब पियो
”होली” है ही ऐसा त्यौहार.
(चित्र गूगल से साभार)
(जागरण जंक्शन के सुधि पाठकों,सदस्यों एवं समस्त जागरण परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ)
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