आजकल आदमी का हुलिया बदल गया है अब आदमी के बीच आदमी को तलाशता हूँ बहुत देखा है संबंधों की गहराई अब सम्बन्ध में सम्बन्ध तलाशता हूँ ||
वफ़ा का दुनियाँ में तकाजा न रहा बेवफाई में वफ़ा तलाशता हूँ अंधेरों में जीना सीख लिया है ‘राजीव’ रौशनी में रौशनी को तलाशता हूँ||
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