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कितना अच्छा लगता है

कहना है
कहना है
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Kitna Achcha Lagta hai

    कितना अच्छा लगता है
    यूँ अनायास मिलना
    दुनियाँ के गलियारों में
    साथ-साथ फिरना


अभी छू गई है
पुरवाई गालों को
दे गया चुनौती कौन
दर्द के उबालों को

    दहलीज को चूम रहे
    आँगन अमलतास के
    उधेड़ दो न अब घूंघट
    क्षणजीवी प्यास के


कितनी भारी है
आँखों का सूनापन
सोया सा लगता है
सांसों का सूनापन

    मन से टकराता है
    ऐसे सन्नाटा
    कंठ में चुभे जैसे
    सेही का कांटा


पोर पोर में सरसों फूली
आँखें रसमसाती
मधु अतीत की सुगंध पीकर
पांखें कसमसाती

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