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तनहा सफ़र जिन्दगी का

कहना है
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Tanha1

    तनहा कट गया जिन्दगी का सफ़र कई साल का
    चंद अल्फाज कह भी डालिए अजी मेरे हाल पर
    मौसम है बादलों की बरसात हो ही जाएगी
    हंस पड़ी धूप तभी इस ख्याल पर


फिर कहाँ मिलेंगे मरने के बाद हम
सोचते ही रहे सब इस सवाल पर
खुशबुओं की राह से एक दिन गुजर गया
कहाँ से आ गई ये राह दीवाल पर

    शायद इन रस्तों से होकर ख्वाबों में गुजरे
    दिखे हैं मुझको सहरा चांद हर जर्रे पर
    आसमान थर्राता था जिन आवाजों की जुम्बिश पर
    बहरा चांद भी चुप है मेरी आवाजों पर


तेरा आँचल हवाओं में ऐसे लहराता है
दिखे है लहरा चांद नदी के दर्पण पर
और भी छलक जाती हैं निगाह मिलाकर
हश्र तो ये है तुमसे मुलाकात पर

    जिसे देखकर बढ़ी जाती है प्यास हर पल
    हाल तो ये है लगी झड़ी बरसात पर
    जरा गौर फरमाईए ‘राजीव’ की इस बात पर
    उस चांदनी रात का जिक्र क्यों न हो इस ख्याल पर

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