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साज कोई छेड़ो

कहना है
कहना है
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साज कोई छेड़ो
गीत नया गाने दो
बहुत तनहा है ये दिल
आज उसे बह जाने दो

प्यार की ये नजर
अब इधर मोड़ दो
बंधा जिससे मैं
युगों युगों से हूँ
किस तरह प्रीत का
वो डोर न तोड़ दो

इक नशा था
वो वक़्त भी था
मेरे घर का
तुम पर तारी था

जा रहे हो
ये भी वक्त है
मेरी गली से
नजरें चुरा के

ये अहसास न होता
गर तेरी जुदाई का
तुमसे प्यार न होता
इस कदर बेइंतिहा

आज फिर कोई माहताब
रोशन हुआ है
चिलमन की ओट से
उसने नकाब उल्टा है

बहती है उसके जिस्म से
खुशबू की इक नदी
लगता है कहीं फिर
खिल गए ताजा गुलाब फिर

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