कहना है
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यह कविता इस मंच के नन्हें मुन्हें पाठकों के लिए.बरसों पहले लिखी यह कविता अब तक कहीं प्रकाशित नहीं हो पाई.
चंदामामा चंद्रलोक के नहीं रहे क्यों राजा
रूस अमेरिका वाले अब हैं वहां बजाते बाजा
मम्मी मामी कहाँ गई जो थीं सुन्दर पटरानी
मंगल ग्रह को चली गई क्यों नानी भरने पानी
मौसी क्यों न मिठाई भेजे जाकर वहां झगड़ते
पप्पा जी से पूछो जो नित अख़बारों को हैं पढ़ते
दो अम्मा सन्देश चलूँगा डैडी की ससुराल
तेरे पीहर पकें पकौड़े खाकर बनूँ निहाल
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