कहना है
- 36 Posts
- 813 Comments
चांदनी में भा गए हैं
गीत यूँ मधुमास के
छंद ऋतुओं ने रचे हैं
कुंकुमी आकाश के.
किस सपनों में खोए
चले पिया के गाँव
सतरंगी खुशियों की चाहत
मिले प्यार की छांव.
दोपहरी के एकांत सहन में
खिली धूप के नील गगन में
जीत गई पिछली मनुहारें
यूँ आ गए दबे पांव.
उम्र के वन में विचरते
थम गए
मेंहदी रचे दो पांव
पूछते हैं फासले अब
दूर कितनी
गुलमुहर के गाँव.
Read Comments